ज़िन्दगी तबाह मेरी ,
इल्जाम किसको दूं
हमें तन्हां जीना सिखाया,
क्या इनाम उसको दूं
बूंद बूंद को मैं तरसता ,
गैरों को समन्दर दीया उसने
हमें ज़हर जो पीलाया ,
क्यूं? अमृत नाम उसको दूं
वो पीठ पिछे उड़ाता है
मेरे इज्जत की धज्जियां
और वो कहता है
इज्जत सरेआम उसको दूं
-आभा
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#Problems