ज़िन्दगी तबाह मेरी , इल्जाम किसको दूं हमें तन्हां

"ज़िन्दगी तबाह मेरी , इल्जाम किसको दूं हमें तन्हां जीना सिखाया, क्या इनाम उसको दूं बूंद बूंद को मैं तरसता , गैरों को समन्दर दीया उसने हमें ज़हर जो पीलाया , क्यूं? अमृत नाम उसको दूं वो पीठ पिछे उड़ाता है मेरे इज्जत की धज्जियां और वो कहता है इज्जत सरेआम उसको दूं -आभा"

 ज़िन्दगी तबाह मेरी , 
इल्जाम किसको दूं
हमें तन्हां जीना सिखाया,
 क्या इनाम उसको दूं
बूंद बूंद को मैं तरसता , 
गैरों को समन्दर दीया उसने
हमें ज़हर जो पीलाया , 
क्यूं? अमृत नाम उसको दूं
 वो पीठ पिछे उड़ाता है
 मेरे इज्जत की धज्जियां
और वो कहता है 
इज्जत सरेआम उसको दूं
-आभा

ज़िन्दगी तबाह मेरी , इल्जाम किसको दूं हमें तन्हां जीना सिखाया, क्या इनाम उसको दूं बूंद बूंद को मैं तरसता , गैरों को समन्दर दीया उसने हमें ज़हर जो पीलाया , क्यूं? अमृत नाम उसको दूं वो पीठ पिछे उड़ाता है मेरे इज्जत की धज्जियां और वो कहता है इज्जत सरेआम उसको दूं -आभा

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