ना फूल रही ना फुलवारी ना माली की फटकार न क्यारियों | English Poetry Vi

"ना फूल रही ना फुलवारी ना माली की फटकार न क्यारियों की गीली मिट्टी रही ना मिट्टी में सने हाथ और ना ही वह भौरों का रेल है मैंने तितलियों को सड़कों पर भटकते देखा है ©Madhu "

ना फूल रही ना फुलवारी ना माली की फटकार न क्यारियों की गीली मिट्टी रही ना मिट्टी में सने हाथ और ना ही वह भौरों का रेल है मैंने तितलियों को सड़कों पर भटकते देखा है ©Madhu

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