इस सफर ए हयात को जान बूझकर अंजानपना अता कर दिया,इस तरह उसने इक हयात को विरानपना अता कर दिया//१
लेके दस्त ए खंज़र का ये इनायतपना अता कर दिया,उसने करके ज़िगर को लहुलुहान क़ातिलपना अता कर दिया//२
वो मरीज ज़िगर का नहीं ज़हनी निकला,मारकर मेरी हसरतों को दीवानपना अता कर दिया//३
करके खिलवाड़ उसे तनिक नदामत भी महसूस ना हुई,इस
तरह एक मुख्लिस दिल को उसने नादानपना अता कर दिया//४