हिरे की पहचान तो अंधेरे में ही होती है , सूरज की | हिंदी शायरी

"हिरे की पहचान तो अंधेरे में ही होती है , सूरज की रौशनी में तो काँच के टुकड़े भी चमकते है ।। ©Jay singh Jadon"

 हिरे की पहचान तो अंधेरे में ही होती है , 

सूरज की रौशनी में तो काँच के टुकड़े भी चमकते है ।।

©Jay singh Jadon

हिरे की पहचान तो अंधेरे में ही होती है , सूरज की रौशनी में तो काँच के टुकड़े भी चमकते है ।। ©Jay singh Jadon

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