वक़्त की लकीर थामे वो लम्हा कही अटक ग | हिंदी Shayari

" वक़्त की लकीर थामे वो लम्हा कही अटक गया, खींचते खींचते कल की डोर को,मेरा आज फिर लटक गया। ~Amrit"

       




   वक़्त की लकीर थामे वो लम्हा कही अटक गया,
खींचते खींचते कल की डोर को,मेरा आज फिर लटक गया।
                                                                     ~Amrit

वक़्त की लकीर थामे वो लम्हा कही अटक गया, खींचते खींचते कल की डोर को,मेरा आज फिर लटक गया। ~Amrit

#Nojoto#Hindi#Waqt

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