रो दूंगी तो लगता है
तुम्हे भूलने का पहला कदम होगा वो
एक वक्त के बाद आंसुओं के साथ
तुम्हारा नाम भी धूल जायेगा
शायद वो नाम पूरा नही मिटेगा
इसलिए और ज्यादा भीतर चुबता जायेगा।
तुम्हे तड़प बनाना ये नही चाहा कभी
कभी नही चाहा तुम्हारे लिए रोना होगा।
रोना ही होता तो हजारों और लोग काफी थे
तुम्हे जिंदगी में आने ही नही दिया होता।
जो सपने तुम्हारे साथ जीने को सोचे थे
उन्हे बुनती ही नही रहने देती कहीं कोन में पढ़े
जो वक्त तुम्हारे इंतजार में बैचेन पढ़ी रहती थी
उसे लगा देती किसी जरूरत के काम में
या लेटी रहती पंखे को ताकते हुए
और वक्त को हाथों से फिसलने देती
कुछ भी करती कामकाजी या फिजुल
पर में यूं बेचैन न रहती।
©Deeksha shah
#lonely