ll सुप्रभात ll भले अकेला हैं सूरज पर l सब पे भारी | हिंदी कविता

"ll सुप्रभात ll भले अकेला हैं सूरज पर l सब पे भारी हैं ll रात के अंधियारे में रोज l सियासत जारी हैं ll @ विभावरी.🙏 ©Vidyadhar Bhagwat"

 ll सुप्रभात ll
भले अकेला हैं सूरज पर l सब पे भारी हैं ll
रात के अंधियारे में रोज l सियासत जारी हैं ll
@ विभावरी.🙏

©Vidyadhar Bhagwat

ll सुप्रभात ll भले अकेला हैं सूरज पर l सब पे भारी हैं ll रात के अंधियारे में रोज l सियासत जारी हैं ll @ विभावरी.🙏 ©Vidyadhar Bhagwat

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