मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तल | हिंदी कविता Video

"मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तलाश करे, वह तलाश हू. नदी के किनारों की तरह लगने लगे है रिश्ते जिनमे सेतु बाँधने का करता प्रयास हू. मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तलाश करे, वह तलाश हू. वे दूर चले गए कैसे , नहीं जानता जरा भी, जबकि रहता उनके मैं आस पास हू मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तलाश करे, वह तलाश हू. भय ने घेर लिया इतना भीतर तक, फिर भी मौका है शायद, इसी लिए नहीं ,मैं निराश हू. मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तलाश करे, वह तलाश हू. ©Kamlesh Kandpal "

मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तलाश करे, वह तलाश हू. नदी के किनारों की तरह लगने लगे है रिश्ते जिनमे सेतु बाँधने का करता प्रयास हू. मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तलाश करे, वह तलाश हू. वे दूर चले गए कैसे , नहीं जानता जरा भी, जबकि रहता उनके मैं आस पास हू मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तलाश करे, वह तलाश हू. भय ने घेर लिया इतना भीतर तक, फिर भी मौका है शायद, इसी लिए नहीं ,मैं निराश हू. मैं नहीं जानता, क्यों उदास हू . जिसकी कोई करे न तलाश करे, वह तलाश हू. ©Kamlesh Kandpal

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