मैं ही रह गया साल के आखरी दिन तक इस शहर मे मुजको छ | हिंदी शायरी

"मैं ही रह गया साल के आखरी दिन तक इस शहर मे मुजको छोड़ के हर कोई अपने सफर पै चला गया नए शहर को गले लगाने ©Parmeshwar Janjire"

 मैं ही रह गया साल के आखरी दिन तक इस शहर मे
मुजको छोड़ के हर कोई
अपने सफर पै
चला गया
नए शहर को गले लगाने

©Parmeshwar Janjire

मैं ही रह गया साल के आखरी दिन तक इस शहर मे मुजको छोड़ के हर कोई अपने सफर पै चला गया नए शहर को गले लगाने ©Parmeshwar Janjire

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