तेरे झूठे एहसास क्या कहने,
उस पे मेरा विश्वास क्या कहने।
सनम तेरी बातों में मिठास है,
और तुम हो खास क्या कहने।
चंदन सी आती खुश्बू बदन से,
सबको तेरी तलाश क्या कहने।
ज़ख्म जो तूने दिए हैं मुझको,
यार वो है मेरे पास क्या कहने।
'उजाला' बुझता हुआ चिराग़ हूँ,
जीने की और आस क्या कहने।
©अनिल कसेर "उजाला"
शायरी