मुझे मालूम है कि मां मुझे कैसे बुलाती थी, रूठ जाता | हिंदी कविता

"मुझे मालूम है कि मां मुझे कैसे बुलाती थी, रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी, मुझे मालूम है,मैं चलता था और गिरता उठता था, पकड़कर वो मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी|| ©Santosh Arya"

 मुझे मालूम है कि मां मुझे कैसे बुलाती थी,
रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी,
मुझे मालूम है,मैं चलता था और गिरता उठता था,
पकड़कर वो मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी||

©Santosh Arya

मुझे मालूम है कि मां मुझे कैसे बुलाती थी, रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी, मुझे मालूम है,मैं चलता था और गिरता उठता था, पकड़कर वो मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी|| ©Santosh Arya

#MothersDay2021

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