तेरी फिक्र में मैं जो कभी तुझसे रूठ जाऊँ
तुझसे बहस करते मैं कभी ऊंचा बोल जाऊँ
अनजाने मे ग़र मैं कभी दिल तेरा दुखा जाऊँ.
तुझे पसंद ना हो मैं बात कोई ऐसी कह जाऊँ.
सफ़र - ए - जिंदगी में ग़र कभी पीछे रह जाऊँ
युँ किसी कारण कभी प्यार जताना भूल जाऊँ
जो किए हैं वादे, मैं कभी निभाना भूल जाऊँ
तू करे इंतजार और मैं कभी आना भूल जाऊँ
तू ख़फ़ा हो मुझसे और मैं मनाना भूल जाऊँ
तेरे लिए तेरा तोहफा मैं कभी लाना भूल जाऊँ
तो सुनो जान......
युँ नाराज ना होना तुम माफ़ कर देना
जो गिले शिकवे हो सब साफ कर देना
हाथ पकड़ कर मुझे सीने से लगा लेना
मिट जाए ग़म सारे तुम इतना प्यार देना
©Ak
तेरी फिक्र में मैं जो कभी तुझसे रूठ जाऊँ
तुझसे बहस करते मैं कभी ऊंचा बोल जाऊँ
अनजाने मे ग़र मैं कभी दिल तेरा दुखा जाऊँ.
तुझे पसंद ना हो मैं बात कोई ऐसी कह जाऊँ.
सफ़र - ए - जिंदगी में ग़र कभी पीछे रह जाऊँ
युँ किसी कारण कभी प्यार जताना भूल जाऊँ
जो किए हैं वादे, मैं कभी निभाना भूल जाऊँ