White मेरे इस जीवन में मुझसे भूल कितनी ही हुईं हैं | हिंदी कविता

"White मेरे इस जीवन में मुझसे भूल कितनी ही हुईं हैं। कैसे मैं कह दूं क्षमा दो, याद मुझको भी नहीं हैं। कुछ नहीं मालूम मुझको, क्या करूं तू ही बता दे। भूल थीं छोटी बड़ी सब, पर कहीं लिक्खी नहीं हैं। मैंने जीवन भर ही चाहा, सबको मैं अपना बना लूं, खुद को ही मैं भूल बैठी, भूल ये छोटी नहीं हैं। मांगती हूं मैं क्षमा भी, और ये शुभ कामना भी, हों सुखी और स्वस्थ अपने, आस कुछ ज्यादा नहीं हैं। भूल तो इंसान से ही होती हैं, होती रहेंगी। जो क्षमा कर पाए उसकी, प्रीत भी घटती नहीं हैं। ©Madhu Arora"

 White मेरे इस जीवन में मुझसे भूल कितनी ही हुईं हैं।
कैसे मैं कह दूं क्षमा दो, याद मुझको भी नहीं हैं।
कुछ नहीं मालूम मुझको, क्या करूं तू ही बता दे।
भूल थीं छोटी बड़ी सब, पर कहीं लिक्खी नहीं हैं।
मैंने जीवन भर ही चाहा, सबको मैं अपना बना लूं,
खुद को ही मैं भूल बैठी, भूल ये छोटी नहीं हैं।
मांगती हूं मैं क्षमा भी, और ये शुभ कामना भी,
हों सुखी और स्वस्थ अपने, आस कुछ ज्यादा नहीं हैं।
भूल तो इंसान से ही होती हैं, होती रहेंगी।
जो क्षमा कर पाए उसकी, प्रीत भी घटती नहीं हैं।

©Madhu Arora

White मेरे इस जीवन में मुझसे भूल कितनी ही हुईं हैं। कैसे मैं कह दूं क्षमा दो, याद मुझको भी नहीं हैं। कुछ नहीं मालूम मुझको, क्या करूं तू ही बता दे। भूल थीं छोटी बड़ी सब, पर कहीं लिक्खी नहीं हैं। मैंने जीवन भर ही चाहा, सबको मैं अपना बना लूं, खुद को ही मैं भूल बैठी, भूल ये छोटी नहीं हैं। मांगती हूं मैं क्षमा भी, और ये शुभ कामना भी, हों सुखी और स्वस्थ अपने, आस कुछ ज्यादा नहीं हैं। भूल तो इंसान से ही होती हैं, होती रहेंगी। जो क्षमा कर पाए उसकी, प्रीत भी घटती नहीं हैं। ©Madhu Arora

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