अपने खून पसीने की कमाई को, अपने सुख को भूल कर । अ | हिंदी Poetry Video

"अपने खून पसीने की कमाई को, अपने सुख को भूल कर । अपने जमा किये पाई- पाई को ,जो बिना कुछ बोले हमपें लूटाता है। जो अपने मन की इच्छाओ को ,मार -मार यू हमें सफल बनाता है। जग चाहे जो भी कहता हो उसको ,पर वो अपना सब कुछ हम पर ही लूटाता है। वो भी तो ईन्सान ही है ,होगी उसकी भी ख्वाहिसें लाखों पर वो विशाल हृदय का मालिक हैं ,जो अपनी लाखों ख्वाहिसों को मार गिराता है। हम जब भी जो मॉगें उससे ,हमको लाकर वो दे देता है। कहने को तो हम मात्र अंश है उसके ,पर वो तो हमें ही अपना सम्पूर्ण शरीर बताता है। जब से हम आये जीवन में उसके ,वो अपना हर पल हमको ही देता आया है। जीता हर पल हमारे लिये,कोई और नहीं जग में उससा , वो पिता बस एक ही होता है, जो हमको सब कुछ लाकर देता है। ©Negi Girl Kammu "

अपने खून पसीने की कमाई को, अपने सुख को भूल कर । अपने जमा किये पाई- पाई को ,जो बिना कुछ बोले हमपें लूटाता है। जो अपने मन की इच्छाओ को ,मार -मार यू हमें सफल बनाता है। जग चाहे जो भी कहता हो उसको ,पर वो अपना सब कुछ हम पर ही लूटाता है। वो भी तो ईन्सान ही है ,होगी उसकी भी ख्वाहिसें लाखों पर वो विशाल हृदय का मालिक हैं ,जो अपनी लाखों ख्वाहिसों को मार गिराता है। हम जब भी जो मॉगें उससे ,हमको लाकर वो दे देता है। कहने को तो हम मात्र अंश है उसके ,पर वो तो हमें ही अपना सम्पूर्ण शरीर बताता है। जब से हम आये जीवन में उसके ,वो अपना हर पल हमको ही देता आया है। जीता हर पल हमारे लिये,कोई और नहीं जग में उससा , वो पिता बस एक ही होता है, जो हमको सब कुछ लाकर देता है। ©Negi Girl Kammu

पिता ।

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