White अक्सर हम बीते कल को सोच कर दुखी हो जाते है। कुछ अलग सा लगता है कुछ अतीत की यादें तो कुछ उनसे जुड़ी भावनाएं।कभी कभी निरंतर सोचते रहते है।
आखिर क्यूं है ऐसा.....।
क्योंकि हम मान चुके होते हैं कि "जो बीत गए वो दिन कमाल थे"......
हम क्यों नही सोचते? की आज और कल में कुछ ज्यादा परिवर्तन नही हुआ हैं......।
परिवर्तन हुआ है तो हमारी जरूरतों का,
.....हमारे विचारों का।
.....हमारी भावनाओं का।
.....हमारे बर्ताव का।
पहले साधन जरूर कम थे पर अपनत्व था,लोगो में उत्सुकता थी.....पर आज मानो सब धूमिल हो गया हो.....
आज जब बच्चो को देखते है तो लगता है जैसे बचपना विलुप्त है उनमें.....।
आज माता पिता पढ़े लिखे जरूर है पर कुछ तो हैं जो उन्हें विमुख कर रहा है। पहले घर छोटे जरूर थे पर हृदय विशाल थे और आज विपरीत है । लोगों ने घर बड़े करवा लिए पर अतिथि का रुकना न भाता...।
अब बाजार बड़े हो गए और भीड़ कम.....
"अफसोस तो तब होता है जब २४ घंटे भी लोगो को कम लगते है,जबकि इन्ही २४ घंटे का प्रयोग कर लोगो ने इतिहास रचा है।" आज लोग व्यस्त ना होकर भी व्यस्तता दिखाते है और पहले व्यस्त होकर भी नहीं....।
शब्दों को विराम देना अलग बात है और शब्दों पर विचार करना अलग।
खैर.......,
मेरे लिए न कल बदला है ना आज क्युकी सब दृष्टिकोण हैं मुझे आज भी सादगी में रहना पसंद है...और कल भी ......,जरूरी तो नहीं की आधुनिकता का अंधभक्त बना जाए। क्यूंकि.......,
पहले भी लोगों ने इतिहास में नाम दर्ज कराए हैं और आगे भी होंगे.....।सच तो यह है कल कभी आता ही नहीं बीता हुआ कल भूत में परवर्तित हो जाता है और आने वाला कल भविष्य शेष जो बचता है वो है वर्तमान......।
©Ananya
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