White इश्क की बस्ती में जुगनुओं का पहरा है हस्ती | हिंदी शायरी

"White इश्क की बस्ती में जुगनुओं का पहरा है हस्ती तो सवेरा और रात का भी नहीं ठहरा साहब फिर यह कैसा माजरा है ©अनुराग अचल"

 White इश्क की बस्ती में जुगनुओं का पहरा है 
हस्ती तो सवेरा और रात का भी नहीं ठहरा साहब 
फिर यह कैसा माजरा है

©अनुराग अचल

White इश्क की बस्ती में जुगनुओं का पहरा है हस्ती तो सवेरा और रात का भी नहीं ठहरा साहब फिर यह कैसा माजरा है ©अनुराग अचल

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