उनसे दूर उनसे दुर रहके वो नजारा याद आ रहा था,
जिस नजारे से दिल्लगी काफी पुरानी थी।
हम तो दुवा ही करते है कुछ गलत ना हो,
कहानी हमारी नएसे हो हालाकी पुरानी थी।
कोई क्यू झूट बोलता फिरता खुद खुदको,
जिसको असलियत से होती मनमानी थी।
अब तोह सारे रंग एक जैसे लगते है मुझे,
अब बने दूजे,उनसे आँखे साखी दिवानी थी।
अब तोह यकिन भी नही होता हमदर्दीपर,
खुद्दारीपर खडे रहेके ना बाकी परेशानी थी।
©Kiran Powar
#PoetInYou