हो पतझड़ का मौसम, या बसंत की बहार! चाहे हो झुलसने | हिंदी शायरी Video

"हो पतझड़ का मौसम, या बसंत की बहार! चाहे हो झुलसने वाली गर्मी, या हो बरसात की फुहार! दिलवाले हौसला नहीं हारते, चाहे सर्दी हो कितनी अपार! अपने पंख खोल, और आसमान को चूम ले! अपनी मंजिल को पाने वाले, दिल खोलकर झूम ले! ©Rajan "

हो पतझड़ का मौसम, या बसंत की बहार! चाहे हो झुलसने वाली गर्मी, या हो बरसात की फुहार! दिलवाले हौसला नहीं हारते, चाहे सर्दी हो कितनी अपार! अपने पंख खोल, और आसमान को चूम ले! अपनी मंजिल को पाने वाले, दिल खोलकर झूम ले! ©Rajan

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