साझा किये थे जो वो रात हमने , स्वप्न बुने थे जो वो | हिंदी कविता

"साझा किये थे जो वो रात हमने , स्वप्न बुने थे जो वो साथ हमने , खर्च किये थे और कुछ सहेजे थे हमने रीते रीते भींगें भींगें सूखे सूखे जीवन के सपने ...... "नीर " ©Neeraj Neer"

 साझा किये थे जो वो रात हमने ,
स्वप्न बुने थे जो वो साथ हमने ,
खर्च किये थे और कुछ सहेजे थे हमने
रीते रीते भींगें भींगें सूखे सूखे जीवन के सपने ...... "नीर "

©Neeraj Neer

साझा किये थे जो वो रात हमने , स्वप्न बुने थे जो वो साथ हमने , खर्च किये थे और कुछ सहेजे थे हमने रीते रीते भींगें भींगें सूखे सूखे जीवन के सपने ...... "नीर " ©Neeraj Neer

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