आरंभ की धारा पथक समय की जो भीतर मेरे वर्त सी सम्मि | English Poetry Vi

"आरंभ की धारा पथक समय की जो भीतर मेरे वर्त सी सम्मित, हैं पथ रुप के पथ प्रकाश में जिसमें मेरा हैं, हर भव्य निहित सा!! समझ से परे उस द्वन्द पथक की रेखा जो घेर सी गई उस आरम्भ कोण को! जिसका योग निहित मेरा कर्मरूप में, जो आखिर प्रथक बना, उस आरम्भ द्वार का !! अंदाज_छवि "

आरंभ की धारा पथक समय की जो भीतर मेरे वर्त सी सम्मित, हैं पथ रुप के पथ प्रकाश में जिसमें मेरा हैं, हर भव्य निहित सा!! समझ से परे उस द्वन्द पथक की रेखा जो घेर सी गई उस आरम्भ कोण को! जिसका योग निहित मेरा कर्मरूप में, जो आखिर प्रथक बना, उस आरम्भ द्वार का !! अंदाज_छवि

आरम्भ द्वार ..... लेख!!

#breeze
#Nojoto #nojoto🖋️🖋️ #nojotohindipoetry #nojotohindi #nojotolekh #niklekh

People who shared love close

More like this

Trending Topic