आम आदमी की जिंदगी में, जैसे ही तीर रावण के पुतले | हिंदी कविता

"आम आदमी की जिंदगी में, जैसे ही तीर रावण के पुतले पर लगता है, और रावण का पुतला जलना शुरू करता है, उसके दिमाग की नसे, सजग हों जाती है और शुरू हो जाती है उसके दिमाग में एक नयी calculation के इस बार दिवाली के बोनस से लाएगा साड़ी करवा चौथ पर करवाएगा सैर बच्चो को नए पार्क में और खरीदेगा सिक्का चांदी का फिर से जोर जोर से फूटते हुए फटाखे, करते है धमाका, क्योंकि गिलकी के दाम ५० रुपए बढ़ गए है, स्कूल वाले नया projector खरीद रहे है, और गाड़ी की सर्विसिंग का टाइम आ गया है। पुरानी टीवी पर नए सीरियल भी पुराने लगते है चादरों का रंग उड़ गया है, और बाजार में नई टेक्नोलॉजी वाला फ्रिज आ गया है पड़ोसियों को हर बार की तरह, सेम मिठाई नही खिलानी है, फुलझड़ी भी अब कहा सस्ते में आती है, दशहरे से दिवाली के दिन, कम ही होते है, और बाजार में offer हर दिन आते है आजकल रावण के पुतले में फटाखे कम रखे जाते है पर खुशियां हजार वो दे जाते है, उसी तरह थोड़े से बोनस में सबको कुछ ना कुछ तो देगा और कुछ देर ही तो पहनना है का बहाना फिर से सबको चिपका के, कुर्ता पुराना ही पहनेगा । ©Chirag Joshi"

 आम आदमी की जिंदगी में,

जैसे ही तीर रावण के पुतले पर लगता है,
और रावण का पुतला जलना शुरू करता है,

उसके दिमाग की नसे,
सजग हों जाती है
और शुरू हो जाती है
उसके दिमाग में एक नयी calculation

के इस बार दिवाली के बोनस से
लाएगा साड़ी करवा चौथ पर
करवाएगा सैर बच्चो को नए पार्क में
और खरीदेगा सिक्का चांदी का फिर से

जोर जोर से फूटते हुए फटाखे,
करते है धमाका,
क्योंकि 
गिलकी के दाम ५० रुपए बढ़ गए है,
स्कूल वाले नया projector खरीद रहे है,
और गाड़ी की सर्विसिंग का टाइम आ गया है।

पुरानी टीवी पर नए सीरियल भी पुराने लगते है
चादरों का रंग उड़ गया है,
और बाजार में नई टेक्नोलॉजी वाला
फ्रिज आ गया है

पड़ोसियों को हर बार की तरह,
सेम मिठाई नही खिलानी है,
फुलझड़ी भी अब कहा सस्ते में आती है,

दशहरे से दिवाली के दिन,
कम ही होते है,
और बाजार में offer हर दिन आते है

आजकल रावण के पुतले में
फटाखे कम रखे जाते है
पर खुशियां हजार वो दे जाते है,

उसी तरह 
थोड़े से बोनस में सबको 
कुछ ना कुछ तो देगा 

और
कुछ देर ही तो पहनना है का
बहाना फिर से सबको चिपका के,
कुर्ता पुराना ही पहनेगा ।

©Chirag Joshi

आम आदमी की जिंदगी में, जैसे ही तीर रावण के पुतले पर लगता है, और रावण का पुतला जलना शुरू करता है, उसके दिमाग की नसे, सजग हों जाती है और शुरू हो जाती है उसके दिमाग में एक नयी calculation के इस बार दिवाली के बोनस से लाएगा साड़ी करवा चौथ पर करवाएगा सैर बच्चो को नए पार्क में और खरीदेगा सिक्का चांदी का फिर से जोर जोर से फूटते हुए फटाखे, करते है धमाका, क्योंकि गिलकी के दाम ५० रुपए बढ़ गए है, स्कूल वाले नया projector खरीद रहे है, और गाड़ी की सर्विसिंग का टाइम आ गया है। पुरानी टीवी पर नए सीरियल भी पुराने लगते है चादरों का रंग उड़ गया है, और बाजार में नई टेक्नोलॉजी वाला फ्रिज आ गया है पड़ोसियों को हर बार की तरह, सेम मिठाई नही खिलानी है, फुलझड़ी भी अब कहा सस्ते में आती है, दशहरे से दिवाली के दिन, कम ही होते है, और बाजार में offer हर दिन आते है आजकल रावण के पुतले में फटाखे कम रखे जाते है पर खुशियां हजार वो दे जाते है, उसी तरह थोड़े से बोनस में सबको कुछ ना कुछ तो देगा और कुछ देर ही तो पहनना है का बहाना फिर से सबको चिपका के, कुर्ता पुराना ही पहनेगा । ©Chirag Joshi

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