इस दुनियां का भी अजीब दस्तूर हैं, यहाँ हरेक अपनी न
"इस दुनियां का भी अजीब दस्तूर हैं,
यहाँ हरेक अपनी नजरों में खुद बेक़सूर हैं,
ख़ुद के पंजों के निशान तक देखे नहीं जाते,
दूसरे की आंखों में तिनका ढूंढने से बाज़ नहीं आते।"
इस दुनियां का भी अजीब दस्तूर हैं,
यहाँ हरेक अपनी नजरों में खुद बेक़सूर हैं,
ख़ुद के पंजों के निशान तक देखे नहीं जाते,
दूसरे की आंखों में तिनका ढूंढने से बाज़ नहीं आते।