कश्ती भी मेरी थी,माझी भी मैं ही था,फिर ना जाने ये | हिंदी Shayari

"कश्ती भी मेरी थी,माझी भी मैं ही था,फिर ना जाने ये जुल्म किसका था। बता गंगा मईया नाव में छेद किसने किया था? ©Das Ghayal "

 कश्ती भी मेरी थी,माझी भी मैं ही था,फिर ना जाने ये जुल्म किसका था।
बता गंगा मईया नाव में छेद किसने किया था?

©Das Ghayal

कश्ती भी मेरी थी,माझी भी मैं ही था,फिर ना जाने ये जुल्म किसका था। बता गंगा मईया नाव में छेद किसने किया था? ©Das Ghayal

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