औरत का वजूद:_____
एक दिन कोई औरत दबे पैर चल देती है चुपचाप..
कोई औरत रिश्तो को निभाने में सहती है बहुत कुछ मुश्किलें....😢
उसका दिल दिमाग, रूह,लगन से ईमानदारी निभाने को बर्दाश्त करता है इतने जख्म,और जहां तक की कोई दूसरा आदमी आता ही नहीं उसके दिलो दिमाग में...
वो आदमियों की मानिंद तुनक तुनक के झगड़ती भी नही ,के सूप में नमक कम क्यू है?
मेरे जूते पोलिश क्यूं नहीं किए अब तक?मेरी चप्पल नही धोई?मेरे जुराबे किधर है? वगेरह वगरेह ....
फिर भी औरत सीधे से बोलती है,कोई बात नही,यदि आपको कोई दिक्कत है तो हम इस बाबत बात कर लेते है...
और आदमी है,के इसी बात पर खीजते चीखते चिल्लाते गुस्सा होते है।