महफ़िल-ए-ग़नी मे बैठा था फ़कीर सर उठाए, बौने लगे उ | हिंदी शायरी

"महफ़िल-ए-ग़नी मे बैठा था फ़कीर सर उठाए, बौने लगे उसे सारे खुदा के आगे। ©Tausif Kazi"

 महफ़िल-ए-ग़नी मे बैठा था फ़कीर सर उठाए, बौने लगे उसे सारे खुदा के आगे।

©Tausif Kazi

महफ़िल-ए-ग़नी मे बैठा था फ़कीर सर उठाए, बौने लगे उसे सारे खुदा के आगे। ©Tausif Kazi

#GoldenHour #fakir #Khuda #gani शायरी हिंदी में

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