तुम्हारी किस्मत है कि मेरी मोहब्बत हो तुम
मेरी शराफत है कि तीर कमान से निकलता नहीं
मैं सबकुछ भूल चुका हूँ अपने माज़ी को लेकर के
एक तुम्हारा चेहरा है जो ध्यान से निकलता नहीं
मैं क्या शिकायत करूँ ज़िन्दगी में दुश्वारियों की
चराग भी चराग क्या जो तूफान से निकलता नहीं