मेरी दà¥à¤† हुवी जो खाता हमसे उससे भूल भी जाओ।
अपने दीवाने को ना इतना तड़पाओ।
खाता जो की मेने, सजा का हक दार भी हूं।
तेरे खामोशी की जो वजह है उसके सजा के लिए
मैं त्यार हूं ।
देदो जो भी मुकामिल मेरे लिऐ अपने सजा देनी है।
अपकी इस रूठ ने वजह से तिल तिल मर रहा हूं।
देनी है जो सजा उसके लिऐ त्यार हूं
©AMIT BHATT
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