वो चाँद से भी खूबसूरत नज़र आते है
हर दिन इक नयी सूरत नज़र आते हैं
पूनम के उजाले में क्यों पूँछता कोई
दिये अमावस में ज़रुरी नज़र आते हैं
हमको जो हमसफ़र नज़र आते हैं
वो मंज़िल से ही बेख़बर नज़र आते हैं
कल तक जिन्हें मेरे हर एब से इश्क़ था
आज इश्क़ में उन्हें बस एब नज़र आते हैं
उनके चेहरे पे नये रंग नज़र आते हैं
वो हें नहीं बस संग नज़र आते हैं
इतनी तेज़ी से बदले हें सबने रंग यहाँ
जैसे सब रंग अब बेरंग नज़र आते हैं
©Siddharth Singh
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