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आल्हा छंद मुक्तक
रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना
जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण।
भूले हो क्यों अपनी क्षमता, किसमें है तेरा कल्याण।।
न हो सके जो तुमसे बोलो, कठिन कौन सा ऐसा काम।
नहीं जगत में तुमसा कोई,दूजा स्वीकारो हनुमान।।
दीर्घकाय पर्वत से होकर,लिए शक्ति अपनी पहचान।
चुका सके ऋण अनुदानों का, जीवन कर अपना बलिदान।।
जो कुछ भी कर पाए उसका , नहीं कभी मन में हो दम्भ ।
सिंहनाद करके फौलादी,ले संकल्प किये प्रस्थान।।
*सुधा त्रिपाठी*
©Sudha Tripathi
#ramnavmi
आल्हा छंद मुक्तक
रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना
जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण।
भूले हो क्यों अपनी क्षमता, किसमें है तेरा कल्याण।।