मुझे रोकने के लिए पता नही कितने बहाने बनाती धी त | हिंदी कविता

"मुझे रोकने के लिए पता नही कितने बहाने बनाती धी तु माँ तु पैर से चल नही पाती धी फिर भी मुझे रेलिंग तक छोड़ने जरूर आती थी माँ तेरी सारी ममता का मुझे एहसास हुआ माँ पर अफसोस ये तेरे जाने के बाद हुआ माँ ©Seema sinha"

 मुझे रोकने  के लिए  पता नही
कितने बहाने बनाती धी तु माँ 
तु पैर से चल नही पाती धी फिर भी
मुझे रेलिंग  तक छोड़ने जरूर आती थी माँ 
तेरी सारी ममता का  मुझे एहसास  हुआ माँ 
पर अफसोस ये तेरे जाने के बाद  हुआ  माँ

©Seema sinha

मुझे रोकने के लिए पता नही कितने बहाने बनाती धी तु माँ तु पैर से चल नही पाती धी फिर भी मुझे रेलिंग तक छोड़ने जरूर आती थी माँ तेरी सारी ममता का मुझे एहसास हुआ माँ पर अफसोस ये तेरे जाने के बाद हुआ माँ ©Seema sinha

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