यूं तो जुदा हुए तुम्हे,
कुछ साल ही बीते है,
पर ते रे बिन हर पर हम, अनचाह सा जीते है ।
किसी को अपना दर्द दिखाने की हिम्मत नही मुझमें,
शायद इसीलिए मुस्कुराहट से अपने दर्द को सिते है।
तेर बिना हर पल अनचाह sa जीते है।
कैसे कहूं तेरी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता,
रिश्ता कोई भी हो,तेरी जगह नहीं कोई ले सकता।
अपनी हर अधूरी बात का घूंट, दिल में ही पीते है,।
तेरे बिना हर पल अनचाह sa जीते है।
और आज जो कलम ज़िद पर आया है, तेरे बारे लिखने को,,
"डैडी" अनपढ़ सा महसूस किया है,,
JT ने खुद को ।
बस शब्दों को जोड़ जोड़ ,,अपने एहसास की चादर सिते है,,
तेरे बिना हर पल अनचाह सा जीते है ।
©a_secret_poettt
daddy