कमाल है और मिस्कीन भी है हम हम उम्रो मे गैर और तस | हिंदी शायरी

"कमाल है और मिस्कीन भी है हम हम उम्रो मे गैर और तस्लीम भी है हम सजा है या कोई दुआ जी रहे है हम मुकद्दर से गुलाम दिल के रहबर भी है हम ©deshank sharma"

 कमाल है और मिस्कीन भी है हम 
हम उम्रो मे गैर और तस्लीम भी है हम 

सजा है या कोई दुआ जी रहे है हम 
मुकद्दर से गुलाम दिल के रहबर भी है हम

©deshank sharma

कमाल है और मिस्कीन भी है हम हम उम्रो मे गैर और तस्लीम भी है हम सजा है या कोई दुआ जी रहे है हम मुकद्दर से गुलाम दिल के रहबर भी है हम ©deshank sharma

#deshank #Life #Hindi

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