कुछ कंहानीया अधूरी ही अच्छी है,
जैसे की हमारी!!!
ना साथ निभाने का कोई हाल,
ना दूर होने का कोई मलाल!!!
जिये कितने सारे साथ हमने,
प्यार भरे साल।
विरह वेदना की घड़ी की हो रही अब शुरुआत,
दूर रह लोगे क्या तुम अब हमसे!!!
निकल रहे सवालात,
कुछ तो आंसुओं से भी बेह गये ज़ज्बात।
बिन राधे, क्या कृष्ण की, हुई कभी बात,
जब भी हुआ जिक्र, दोनो का नाम लिया हमेशा साथ!!!
मै भी जुड़ी हूं, कुछ इसी तरह तुमसे,
कुछ अधूरे से गानों सी मैं, और कुछ अलफाज़ो से पूरे तुम,
इस अधूरी सी कहानी के, हम दो हिस्से,
साथ होते हुए भी कितने अलग से।
बिन राधे, क्या कृष्ण की, हुई कभी बात,
जब भी हुआ जिक्र, दोनो का नाम लिया हमेशा साथ!!!
मै भी जुड़ी हूं, कुछ इसी तरह तुमसे,
कुछ अधूरे से गानों सी मैं, और कुछ अलफाज़ो से पूरे तुम,
इस अधूरी सी कहानी के, हम दो हिस्से,
साथ होते हुए भी कितने अलग से।