उसकी मोहब्बत लाख छुपाई ज़माने से मैंने,मगर आँखों म | हिंदी कविता

"उसकी मोहब्बत लाख छुपाई ज़माने से मैंने,मगर आँखों में तेरे अक्स को छुपा न सका। कभी तुम आ जाओ ख्यालों में और मुस्कुरा दूँ मैं, इसे गर इश्क़ कहते हैं तो हाँ मुझे इश्क़ है तुमसे। मोहब्बत क्या है चलो दो लफ़्ज़ों में बताते हैं, तेरा मजबूर करना और मेरा मजबूर हो जाना। ©khushbu gajipur"

 उसकी मोहब्बत लाख छुपाई ज़माने से मैंने,मगर आँखों में तेरे अक्स को छुपा न सका। कभी तुम आ जाओ ख्यालों में और मुस्कुरा दूँ मैं, इसे गर इश्क़ कहते हैं तो हाँ मुझे इश्क़ है तुमसे। मोहब्बत क्या है चलो दो लफ़्ज़ों में बताते हैं, तेरा मजबूर करना और मेरा मजबूर हो जाना।

©khushbu gajipur

उसकी मोहब्बत लाख छुपाई ज़माने से मैंने,मगर आँखों में तेरे अक्स को छुपा न सका। कभी तुम आ जाओ ख्यालों में और मुस्कुरा दूँ मैं, इसे गर इश्क़ कहते हैं तो हाँ मुझे इश्क़ है तुमसे। मोहब्बत क्या है चलो दो लफ़्ज़ों में बताते हैं, तेरा मजबूर करना और मेरा मजबूर हो जाना। ©khushbu gajipur

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