White हां मैं ऐसा हूं तो हूं,
थोड़ा सख्त हूं,थोड़ा अख्खड़ हूं
थोड़ा भावुक भी तो हूं
अब क्या करूं ऐसा हूं तो हूं
तुम चाहते हो,आडंबर की चादर में लपेटना
तुम चाहते हो दिखावे के बाजार में बिकना
तुम चाहते हो बाहरी उपहारों से अलंकृत करना
तुम चाहते हो चमक की दौड़ में लपेटना
पर क्या करूं जो हूं सो हूं, हां मैं ऐसा हूं तो हूं
ऊब जाते होगे न तुम भी शायद कभी कभी
बाजार कि चमक से ललचाते होगे न तुम भी कभी कभी
पर क्या करूं तुम्हे जड़ों से दूर तो नही कर सकता न
तुम्हें कृतिम सम्मान के तिलिस्म में नहीं जकड़ सकता न
मैं नहीं चाहता ये आडंबर ये शोर शराबा तुम्हे खीच ले
मैं नहीं चाहता साधना कि प्राप्ति को भटकाव भींच ले
हां मैं चाहता हूं तुम्हारे मंजिल प्राप्ति के जश्न में शामिल होना
मैं चाहता हूं कैमरे में नहीं,तुम्हारे भविष्य कि तस्वीर में उतरना
मै चाहता हूं तुम्हें भविष्य के नक्श pe यूकेरना
शायद इसलिए बोरिंग सा हूं बेरुखी में सना सना सा हूं
शायद इसलिए तुम्हारे जश्न से कटा कटा सा हूं
अब क्या करूं ऐसा हूं तो हूं
राजीव
©samandar Speaks
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