भगति फिरती दुनिया में, मै ठहरा हूं। समंदर गहरा नही | हिंदी Shayari

"भगति फिरती दुनिया में, मै ठहरा हूं। समंदर गहरा नहीं है, मै गहरा हूं। कुछ लम्हे तेरी मोजुदगी के, मुझमें शामिल नहीं हो सकते। चमचमाती धूप से कहादो, मै अंधेरा हूं।"

 भगति फिरती दुनिया में,
मै ठहरा हूं।
समंदर गहरा नहीं है,
मै गहरा हूं।
कुछ लम्हे तेरी मोजुदगी के,
मुझमें शामिल नहीं हो सकते।
चमचमाती धूप से कहादो,
मै अंधेरा हूं।

भगति फिरती दुनिया में, मै ठहरा हूं। समंदर गहरा नहीं है, मै गहरा हूं। कुछ लम्हे तेरी मोजुदगी के, मुझमें शामिल नहीं हो सकते। चमचमाती धूप से कहादो, मै अंधेरा हूं।

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