White पापा की थी आँख का तारा,माँ की थी मैं परछाई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।
वो अंगना बाबुल का घर,वो माँ का आँचल छूट गया।
मेरा जो भगवान था अब तक,लागे जैसे रुठ गया।।2
डूब रही थी मैं अंदर से,थी दर्द की ऐसी गहराई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।
मोल लगा कर रिश्ता जोड़े,सब कहते संसार उसे।
मोह से जो जोड़ा जाता है,कैसे कहे परिवार उसे।2
कोई पलट के हाल जा बुझे,और कैसा वो घर पाई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।
इस घर भी मैं पराई थी,अब उस घर भी मैं पराई हूं।
सब हंस के ताने कसते है,मैं और कंही से आई हूं।2
अपना जीवन बाबुल घर था,जितना वंहा बताई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।
©Anand singh बबुआन
#sad_shayari