White शांत थी, आवाक नहीं
या फिर यूं कहे कि
सत्य बोलकर, किया किसी को निराश नहीं
घोंटी भीतर, समझ कर कड़वी दवाई
बाहिर ना आने दी, प्रीत की सच्चाई
जब तोड़ी चुप्पी
तो अंधकार भी बना भाई
उसने तो, सितारों संग सोहबत पर आवाज़ उठाई
मृदु एहसास को ना मैं, कभी अल्फाज़ दे पायी
हर पल
विरह की अग्नि में जलती रही
और स्वयं संग नाराज़गी जतायी।।
©Bhaरती
#night_thoughts