बारिश धो गई आंसू विलखते लाख चेहरों की पर आंसू दि | हिंदी कविता

"बारिश धो गई आंसू विलखते लाख चेहरों की पर आंसू दिल जो निकले वो बारिश छू भी न पाई दिखाने को जहां सारे में हसता ही मैं रहता था भुला बैठा तुम्हारा वजूद कहता ही मैं रहता था फिर एक दिन आ गई बारिश मैं रो उठा फिर से फिर से धो गई आंसू रोते खामोश चेहरे की पर आंसू दिल में जो निकला वो फिर से छू भी न पाई मानो मैं भूलता हूं सब पर वो भूल न पाई।। ©Vimal Gupta"

 बारिश धो गई आंसू 
विलखते लाख चेहरों की 
पर आंसू दिल जो निकले 
वो बारिश छू भी न पाई 
दिखाने को जहां सारे में 
हसता ही मैं रहता था 
भुला बैठा  तुम्हारा वजूद 
कहता ही मैं रहता था
फिर एक दिन आ गई बारिश 
मैं  रो उठा फिर से 
फिर से धो गई आंसू 
रोते खामोश चेहरे की 
पर आंसू दिल में जो निकला 
वो फिर से छू भी न पाई 
मानो मैं भूलता हूं सब पर 
वो भूल न पाई।।

©Vimal Gupta

बारिश धो गई आंसू विलखते लाख चेहरों की पर आंसू दिल जो निकले वो बारिश छू भी न पाई दिखाने को जहां सारे में हसता ही मैं रहता था भुला बैठा तुम्हारा वजूद कहता ही मैं रहता था फिर एक दिन आ गई बारिश मैं रो उठा फिर से फिर से धो गई आंसू रोते खामोश चेहरे की पर आंसू दिल में जो निकला वो फिर से छू भी न पाई मानो मैं भूलता हूं सब पर वो भूल न पाई।। ©Vimal Gupta

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