किसी मंज़र या हालात को देख डर जाओ तो, आँख मूंद कर | हिंदी शायरी

"किसी मंज़र या हालात को देख डर जाओ तो, आँख मूंद कर फिर खोलना, फिर मुस्कुराना और दोबारा टकराना, मौत तो आनी है लाज़िम है पर, इंसान के लिए मौत से बदतर है उसके सपनों का मर जाना। - काज़ी मुईज़ हाशमी"

 किसी मंज़र या हालात को देख डर जाओ तो,
आँख मूंद कर फिर खोलना,
फिर मुस्कुराना और दोबारा टकराना,

मौत तो आनी है लाज़िम है पर,
इंसान के लिए मौत से बदतर है उसके सपनों का मर जाना।

- काज़ी मुईज़ हाशमी

किसी मंज़र या हालात को देख डर जाओ तो, आँख मूंद कर फिर खोलना, फिर मुस्कुराना और दोबारा टकराना, मौत तो आनी है लाज़िम है पर, इंसान के लिए मौत से बदतर है उसके सपनों का मर जाना। - काज़ी मुईज़ हाशमी

किसी मंज़र या हालात को देख डर जाओ तो,
आँख मूंद कर फिर खोलना,
फिर मुस्कुराना और दोबारा टकराना,

मौत तो आनी है लाज़िम है पर,
इंसान के लिए मौत से बदतर है उसके सपनों का मर जाना।

- काज़ी मुईज़ हाशमी

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