महिलाओं और ल़डकियों को देवी की तरह पूजने के ढोंग में मैं बिल्कुल भी विश्वास नहीं करती।
प्रकृति की एक खूबसूरत कृति और इंसान होने के नाते उन्हें भी पुरुषों की तरह अपने विकास के लिए समान अधिकार, घर - समाज में सम्मान और देश के लिए नेतृत्व के अवसर देने होंगे ताकि वह भी पुरुष वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सम्पूर्ण विश्वधरा की समृद्धि के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर सके। निःसंदेह उसमें अपार शक्ति,हौंसला और सम्भावनायें है। इस क्रांति का आगाज़ सभी को सर्वप्रथम अपने घर से ही करना होगा।
©NatureSoul Sanjeetaa Dhaka
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