पल्लव की डायरी
काबिल हम कभी बन ना पाये
अपने जोश को लय दे ना पाये
जमाने ने कमजोर समझ नारी पर
किसी ना किसी का साया डाला है
दम अपना कैसे भरती
तय अगर सफर अकेली करती
चर्चो में हम हर जबान पा आ जाते
मर्यादा के नाम पर बंदिशें पाते
फिर भी बजूद अपना लिख रही हूँ
खोज अपनी खुद की कर
आत्ममुग्ध खुद हो रही हूँ
डर को चीरकर रोशन आज मेरी सोच हो रही है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#StandProud डर को छोड़कर रोशन मेरी सोच हो रही है
#nojotohindi