कल दिल में थे तो बेहतर थे अरमां हमारे
आज यूं बिखरे हैं तो क्या करे ।
कल आंखों में थे जो सपने पुराने
आज उनसे बेखबर है तो क्या करे ।
कल हंस देते थे दो बातें सुनाकर
आज हंसी को खोजे तो क्या करे ।
कल रोकर सब भूल जाया करते थे
आज खुद में दबाएं हैं तो क्या करे ।
कल भैया लाकर बर्फ का गोला देते थे
आज जायदाद में लड़ते है तो क्या करे ।
कल धूप में पूरा गांव दौड़ जाया करते थे
आज चिलमिलती गर्मी है तो क्या करे ।
कल मां की रोटी ख़राब लगती थी
आज बीवी के ताने भाएं तो क्या करे ।
कल दिल में थे तो बेहतर थे अरमां हमारे
आज यूं बिखरे है तो क्या करे ।।
©Deepak Mishra
#Feeling #Childhood #Memories #adultery #Night #poem
#steps