अंत पर विजय अनंत शब्द ढूंढते रहे,
फिर दिवस यूं पिछला व्यतीत हो गया,
बढ़ने का नाम ज़िन्दगी और रुक गए हम,
और मृत्यु को तुमने धारण कर लिया,
शवों के रेले लगे हैं जब हर गली कूंचे से,
नाम कर यूं हुए गुमनाम खुद को आम कर लिया...✍🏼
RIP
#RIP #irfan_khan
#Rishi_Kapoor