कभी- कभी हम जिंदगी के उस मोड़ पर खुद को पाते हैं ज

"कभी- कभी हम जिंदगी के उस मोड़ पर खुद को पाते हैं जहां हम शायद समझ ही नहीं पाते की आखिर जिन्दगी हमसे चाहतीं क्या है? कहाँ ले जाना चाहती है? क्यू ले जाना चाहती है? हम समझ ही नहीं पाते हैं,,,हम समझ ही नहीं पाते हैं कि जिंदगी को हम अपने हिसाब से चला रहे हैं या फिर जिंदगी हमें खुद अपने हिसाब से लिए जा रहीं हैं... समझ ही नहीं पाते हैं कि हम क्या पा रहे हैं और क्या खो रहे हैं, समझ ही नहीं पाते हैं कि हम कहां खड़े है.. बस थक से गये हैं इस जिंदगी के उलझनों से, थक से गये है जिदंगी के हजार सवालों से.. समझ ही नहीं पाते की क्या है ये जिंदगी? हर रोज एक नई तकलीफ के पन्ने जुड़ जाते है जिदंगी मे तो वही हर पल एक नये सवाल परेशान कर जातें हैं | रिश्तों, सपनों और अपनों के बीच बस उलझ सी गयी है ये जिंदगी.... किस रास्ते पर किस पल कुछ सुकून के मिलेंगे क्या पता, बस उलझे हुए खुद में ही अनजान से रास्ते पर चले जा रहें हैं एक बैचेन परींदे की तरह.......... ©Puja Gupta"

 कभी- कभी हम जिंदगी के उस मोड़ पर खुद को पाते हैं जहां हम शायद समझ ही नहीं पाते की आखिर जिन्दगी हमसे चाहतीं क्या है? कहाँ ले जाना चाहती है? क्यू ले जाना चाहती है? हम समझ ही नहीं पाते हैं,,,हम समझ ही नहीं पाते हैं कि जिंदगी को हम अपने हिसाब से चला रहे हैं या फिर जिंदगी हमें खुद अपने हिसाब से लिए जा रहीं हैं... 

समझ ही नहीं पाते हैं कि हम क्या पा रहे हैं और क्या खो रहे हैं, समझ ही नहीं पाते हैं कि हम कहां खड़े है.. 
बस थक से गये हैं इस जिंदगी के उलझनों से, थक से गये है जिदंगी के हजार सवालों से.. 
समझ ही नहीं पाते की क्या है ये जिंदगी? 
हर रोज एक नई तकलीफ के पन्ने जुड़ जाते है जिदंगी मे तो वही हर पल एक नये सवाल परेशान कर जातें हैं |
रिश्तों, सपनों और अपनों के बीच बस उलझ सी गयी है ये जिंदगी.... किस रास्ते पर किस पल कुछ सुकून के मिलेंगे क्या पता, बस उलझे हुए खुद में ही अनजान से रास्ते पर चले जा रहें हैं एक बैचेन परींदे की तरह..........

©Puja Gupta

कभी- कभी हम जिंदगी के उस मोड़ पर खुद को पाते हैं जहां हम शायद समझ ही नहीं पाते की आखिर जिन्दगी हमसे चाहतीं क्या है? कहाँ ले जाना चाहती है? क्यू ले जाना चाहती है? हम समझ ही नहीं पाते हैं,,,हम समझ ही नहीं पाते हैं कि जिंदगी को हम अपने हिसाब से चला रहे हैं या फिर जिंदगी हमें खुद अपने हिसाब से लिए जा रहीं हैं... समझ ही नहीं पाते हैं कि हम क्या पा रहे हैं और क्या खो रहे हैं, समझ ही नहीं पाते हैं कि हम कहां खड़े है.. बस थक से गये हैं इस जिंदगी के उलझनों से, थक से गये है जिदंगी के हजार सवालों से.. समझ ही नहीं पाते की क्या है ये जिंदगी? हर रोज एक नई तकलीफ के पन्ने जुड़ जाते है जिदंगी मे तो वही हर पल एक नये सवाल परेशान कर जातें हैं | रिश्तों, सपनों और अपनों के बीच बस उलझ सी गयी है ये जिंदगी.... किस रास्ते पर किस पल कुछ सुकून के मिलेंगे क्या पता, बस उलझे हुए खुद में ही अनजान से रास्ते पर चले जा रहें हैं एक बैचेन परींदे की तरह.......... ©Puja Gupta

जिंदगी....???? 🙂
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