White यह वो दौर है ज़मज़म जहां कुछ लोग अपने बनकर बि | हिंदी Shayari

"White यह वो दौर है ज़मज़म जहां कुछ लोग अपने बनकर बिना मिले ही चले जाते हैं। याद हम उनको भले ही ना हो , फिर भी याद हम उन्हीं को किए जाते हैं । क्योंकि मेरे लिए तो वह अपने ही थे, भले ही उनकी नज़रों में हम ग़ैर बन जाते हैं। आते हैं बहुत लोग अपने बनकर और फिर हमेशा केलिए ऐसे कैसे लोग रुख मोड़ जाते हैं । ©Gorakhpur Zamzam"

 White यह वो दौर है ज़मज़म जहां कुछ लोग अपने 
बनकर बिना मिले ही चले जाते हैं।

 याद  हम उनको भले ही ना हो ,
फिर भी  याद हम उन्हीं को किए जाते हैं ।

क्योंकि मेरे लिए तो वह अपने ही थे,
 भले ही उनकी नज़रों में हम ग़ैर बन जाते हैं।

आते हैं बहुत लोग अपने बनकर और फिर  
 हमेशा केलिए ऐसे कैसे लोग रुख मोड़ जाते हैं ।

©Gorakhpur Zamzam

White यह वो दौर है ज़मज़म जहां कुछ लोग अपने बनकर बिना मिले ही चले जाते हैं। याद हम उनको भले ही ना हो , फिर भी याद हम उन्हीं को किए जाते हैं । क्योंकि मेरे लिए तो वह अपने ही थे, भले ही उनकी नज़रों में हम ग़ैर बन जाते हैं। आते हैं बहुत लोग अपने बनकर और फिर हमेशा केलिए ऐसे कैसे लोग रुख मोड़ जाते हैं । ©Gorakhpur Zamzam

Gorakhpur Shayari
#Sad_Status #शायरी

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