चेहरे की हसी दिखावट सी हो रही है
असल ज़िन्दगी भी बनावत सी हो रही है
अनबन बढ़ती जा रही रिश्तों में भी
अब अपनों से भी बग़ावत सी हो रही है
पहले ऐसा था नहीं जैसा हूँ
आजकल मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही है
दूरी बढ़ती जा रही मंज़िल से
मेरी चलते चलते भी थकावट सी हो रही है
शब्द कम पड़ रहे मेरी बातों में भी
ख़ामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही है
और मशवरे की आदत न रही लोगो को
अब गुज़ारिश भी शिकायत सी हो रही है.
©बेजुबान शायर shivkumar
#चेहरे की #हसी दिखावट सी हो रही है
असल #ज़िन्दगी भी बनावत सी हो रही है ll
अनबन बढ़ती जा रही #रिश्तों में भी
अब अपनों से भी #बग़ावत सी हो रही है ll
पहले ऐसा था नहीं जैसा हूँ
आजकल मेरी #कहानी कोई कहावत सी हो रही है ll