इस क़दर फ़रेफ़्ता हुआ तेरे हुस्न पर चारा-ए-आज़ार क | हिंदी शायरी

"इस क़दर फ़रेफ़्ता हुआ तेरे हुस्न पर चारा-ए-आज़ार की अब फ़िक्र कहाँ ©Kirbadh"

 इस क़दर फ़रेफ़्ता हुआ तेरे हुस्न पर
चारा-ए-आज़ार की अब फ़िक्र कहाँ

©Kirbadh

इस क़दर फ़रेफ़्ता हुआ तेरे हुस्न पर चारा-ए-आज़ार की अब फ़िक्र कहाँ ©Kirbadh

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