दो गज बांश कि टुकड़ी के सहारे चले थे हम दरिआ पार ल | हिंदी Shayari Vid

"दो गज बांश कि टुकड़ी के सहारे चले थे हम दरिआ पार लगाने.... लेकिन दो बूंद आंशु में हि डुब गए....जिसकी नशा हमको जन्नत कि एहसास दिलाति थी....सायद वही आज मन्नत कि तूफान बनके दिलको घायल बना दी ©Chintan@ "

दो गज बांश कि टुकड़ी के सहारे चले थे हम दरिआ पार लगाने.... लेकिन दो बूंद आंशु में हि डुब गए....जिसकी नशा हमको जन्नत कि एहसास दिलाति थी....सायद वही आज मन्नत कि तूफान बनके दिलको घायल बना दी ©Chintan@

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